प्राचीन भारत का इतिहास | History of Ancient India

History of India

प्राचीन भारत का इतिहास बेहद ही पुराना है। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन समय से ही भारत को सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता है क्योंकि जब पूरे विश्व में लोगों को खाने, पहनने और रहने तक का ढंग से ज्ञान नहीं था उस समय भारत देश अपनी व्यापारिक गतिविधियों में चल रहा था। भारत देश का साम्राज्य काफी बड़ा था। उत्तर के हिमालय से दक्षिण के समुद्र तक भारत के ही क्षेत्र थे। और भारतवर्ष के प्राचीन समय से ही कई नाम है जिसमें से की सिंधुस्तान, हिंदुस्तान, जम्मूदविप, इंडिया इत्यादि ।

हिंदुस्तान नाम कैसे पड़ा? | Bharat ka Hindustan naam kaise pada?

भारत को हिंदुओं का देश भी कहा जाता है इसका सबसे बड़ा कारण यह है प्राचीन समय से ही यहां हिंदू सभ्यता का उत्थान हुआ है। हम आपको बता दें कि हिंदू शब्द के पीछे भी एक प्राचीन कहानी है

“प्राचीन समय में हिंदुओं को हिंदू नहीं बल्कि सिंधु नाम से जाना जाता था क्योंकि सिंधु नदी के तट पर रहने वाले लोगों ने खुद को सिंधु बताया और यह सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक मानी जाती है। जिसने सबसे पहले नगरीय क्षेत्र का विकास किया। सिंधु सभ्यता में लोगों को उच्च रहन-सहन, उच्च ज्ञान और अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से बेहद ही अच्छा पाया गया है। लेकिन उसी समय जब भारतवर्ष में मुगलों के बाद पुर्तगालियों का आवागमन होता है उसके बाद भारतवर्ष में रहने वाले हिंदुओं का नाम हिंदू पड़ जाता है क्यों की पुर्तगाली और ईरानी लोग  “स,, शब्द नहीं बोल पाते थे। वे “स,, को “ह,, कहते थे। इसीलिए भारतवर्ष में निवास करने वाले लोगों को भी सिंधु के जगह हिंदू कहने लगे और धीरे-धीरे यही शब्द प्रचलन में आ गया जिससे कि भारतीय सिंधु से हिंदू हो गए और सिंधु नदी हिंदू नदी हो गई।और ये देश सिंधुस्तान से हिंदुस्तान हो गया।

India नाम कैसे पड़ा ? | How did India get its name?

इसी तरह से सिंधु नदी के नाम से ही भारत का नाम इंडिया पड़ा है उसके पीछे की कहानी ये है की

“सिंधु नदी का एक दूसरा नाम इंडस भी था। और सिंधु नदी के तट पर रहने वाले सिंधु सभ्यता के लोगो को इंडस वैली सिविलाइजेशन कहा जाता था। इसी तरह से जब यूनानी भारत आए थे तब उन्होंने सिंधु नदी को इंडस नाम दिया। और हिंदुस्तान का नाम यूनान के लैटिन भाषा में इंडिया रख दिया। इस तरह से सिंधुस्तान हिंदुस्तान में बदल गया और हिंदुस्तान इंडिया में बदल गया।,,

और जब अंग्रेज भारत आए और उन्हें इस कहानी के बारे में पता चला तो अंग्रेजों ने हिंदुस्तान वासियों को इंडस वैली के नाम से जानना शुरु किया और भारतवासियों को इंडियन कहना शुरू किया इस तरह से भारत इंडिया बना और भारतवासी इंडियन पुकारे जाने लगे।

इंडिया का फुल फॉर्म क्या है? | What is the full form of INDIA?

वैसे तो इंडिया शब्द एक लैटिन भाषा का शब्द है जो कि सिंधु नदी के नाम पर इंडिया पड़ गया है। और यह एक प्राचीन शब्द है। जिसका full form  कुछ लोगों ने बताया है जो कि इस प्रकार से है कि –

I- Independent

N- National

D-Democratic

I-Intelligent

A- Area

होता है।

प्राचीन भारत की अर्थव्यवस्था | Economy of Ancient India

प्राचीन भारत की अर्थव्यवस्था बेहद ही सुदृढ़ मानी जाती है। क्योंकि हर एक समाज को उनके काम सौंप दिए गए थे जिसे वे बेहद ही ईमानदारी से पूरा करते थे। और जब किसी देश की अर्थव्यवस्था को संभालने वाले लोगों द्वारा कोई भी काम नियम और अनुशासन से किया जाता है तो उसे देश की अर्थव्यवस्था कभी भी नहीं डगमगाती है ठीक उसी तरह भारत देश भी प्राचीन समय से ही अपने अर्थव्यवस्था को लेकर बेहद ही चिंतित रहा और इसीलिए वह हमेशा से विकसित रहा। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत देश के स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा भारत को सोने की चिड़िया का नाम भी दिया गया है इसी से हम अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत कितना समृद्ध देश रहा होगा।

भारत की प्राचीन अर्थव्यवस्था को अगर लिखित तौर पर हम माने तो सिंधु घाटी सभ्यता से इसका उदय होता है जो की 3500 ईसा पूर्व से 1800 ईसा पूर्व के बीच रहा। इसके बीच में भारत की अर्थव्यवस्था इतनी मजबूत हो गई थी कि भारत एक आत्मनिर्भर देश बन चुका था। यहां के नागरिक कृषि द्वारा अपने देश का पालन पोषण करते थे। वह खुद ही तरह-तरह की तरकीब से कृषि करते थे। और जिन्हे कृषि नहीं आती थी वह दूसरों से सीख कर कृषि अभ्यास करके खेती करके अपने देश को विकसित बनाने का काम करते थे। यहां पालतू जानवर पाले जाते थे।गाय भैसो से दूध, दही, मक्खन निकाला जाता था। भारत में हथियार के तौर पर तांबे, टीना, कासे धातु के नुकीले औजार भी बनाए जाते थे। जिनका उपयोग शिकार करने के लिए किया जाता था और बर्तन भी बनाए जाते थे जिनका उपयोग खाने और सामानों को रखने के लिए किया जाता था। यहां लोगों को साज सज्जा और गहने पहनने का बहुत शौक था जो कि हम अपने वैदिक काल के कई किताबों में और कहानियों में पढ़ते और सुनते आते हैं कि राजाओं ने और रानियां ने ऐसे ऐसे गहने पहन रखे थे। इसी बात से हम अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत में प्राचीन समय से ही सोने, चांदी, मोती, हीरो का उपयोग होता रहा है और गहनों में इन मणी, रतन, चमकीले, पत्थरों का उपयोग होता है।

भारत में व्यापारिक दृष्टिकोण से मसाले और वस्त्रो का बेहद भी अधिक मात्रा में निर्यात किया जाता था। क्योंकि भारत देश में सिंधु सभ्यतावासीयो के पास जिस प्रकार के कपड़े बनाने का गुण था वैसा विश्व के किसी भी देश के नागरिकों में नहीं था। और भारत देश में मसाले का उपयोग जिस तरह से किया जाता था और उनका उत्पादन भी इतनी बड़ी मात्रा में किया जाता था कि विदेशियों को यहां के मसाले और यहां के पकवान बेहद ही पसंद आने लगे और वह यहां से मसाले का आयात करने लगे। व्यापारिक दृष्टिकोण से निर्यात करने वाले देशों में भारत विश्व में पहला देश माना जाता है। जो की प्राचीन समय में आत्मनिर्भर देश में से पहला और इकलौता देश था।

प्राचीन भारत का विशाल साम्राज्य | Vast Empire of Ancient India

वर्तमान समय का मानम्यार देश हो या ईरान, इराक, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, उज़्बेकिस्तान इत्यादि देश। प्राचीन समय में यह सभी देश भारत देश के ही भू भाग हुआ करते थे। जहां पर भारत देश के अनेकों वीर राजाओं ने कई वर्षों तक शासन किया है। भारत का साम्राज्य अति विशाल था जिसे नापना किसी सामान्य मनुष्य की बस की बात नहीं।

हमारे वैदिक ग्रंथों में हमने पढ़ना है कि अफगानिस्तान जो की प्राचीन समय में एक हिंदू देश हुआ करता था और वहां भगवान श्री राम के बेटे कुश का शासन था। जहाँ आज भी एक पहाड़ी का नाम हिंदू कुश है। और यह भी माना जाता है कि प्राचीन समय में अफगानिस्तान का नाम गांधार देश हुआ करता था जहां शकुनी जो की महाभारत के एक पात्र हैं उनका शासन था।

बर्मा देश जो कि भारत के आजादी से मात्र 10 साल पहले ही यानी की सन 1937 में भारत देश से अलग हुआ था जो कि पहले भारत देश का ही हिस्सा था। और प्राचीन समय से ही इस भूखंड पर हमारे राजाओं का शासन था।

भारत के महान शासक सम्राट अशोक (304 ईसा पूर्व) ने अपने साहस और वीरता के बल पर अफगानिस्तान से लेकर बर्मा और कश्मीर से लेकर तमिलनाडु तक के क्षेत्र पर शासन किया था। सम्राट अशोक के राजनीति और न्याय नीति की चर्चा तो पूरा विश्व जानता है। जिन्हें धर्म का प्रतीक भी कहा गया है। और आज के समय में हमारे तिरंगे मे विद्यमान चक्र जिसे कि अशोक चक्र की उपाधि दी गई है से सम्मानित किया गया है वह यही सम्राट अशोक द्वारा मनाया गया था।

राजा समुंद्र गुप्त जोकि गुप्त वंश के शासक थे यह अपने जीवन काल में कभी भी कोई युद्ध नहीं हारे थे। इन्हीं के पुत्र थे राजा विक्रमादित्य जिनके साथ उन्होंने मिलकर भारत में स्वर्णिम युग की शुरुआत की। जिसके बाद भारत के बाजारों में सोने के सिक्के चलने लगे और भारत की संस्कृति का हर दिन उत्थान होने लगा।

राजा चोला जो कि दक्षिण भारत के सबसे ताकतवर राजाओं में से एक थे इन्होंने अपना शासन श्रीलंका तक फैलाया था और इनका प्रभाव केवल भूखंडों पर ही नहीं बल्कि हिंद महासागर के समुद्री मार्गों पर भी था। जिससे कि यह साबित होता है कि भारत के राजाओं के वीरता की बदौलत भारत ने ना केवल अपना साम्राज्य भूखंडों पर फैलाया बल्कि महासागरों तक को नहीं छोड़ा था।

आचार्य चाणक्य के बुद्धि से और रणनीति से चंद्रगुप्त मौर्य ने जिस प्रकार से भारत भूखंड पर शासन किया उसे आज तक विश्व में याद किया जाता है।

इस प्रकार से भारत में महाराणा प्रताप (1540 से1597) जैसे शूरवीर शिवाजी महाराज जैसे मराठा शासक (1660 से1680) नाम भारत पर अपने वीरता का परचम लहराया है इसके बारे में भारत देश के बच्चे बच्चे को मालूम है।

आधुनिक भारत | Modern India

सन 1600 ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) की स्थापना के बाद भारत में बहुत कुछ बदल गया। धीरे-धीरे भारत अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरों में जकड़ता गया। इसके बाद भारत में बहुत ही उतार-चढ़ाव की स्थिति देखने और बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानियों के शहीदी के बाद सन 1947 में 15 अगस्त को भारत आजाद हो गया। लेकिन इससे पहले भारत को दो टुकड़ों में भारत और पाकिस्तान जैसे दो भूखंडों में बंटना पड़ा। इसके बाद फिर भारत में कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और भारत में दिन पर दिन तरक्की की सीढ़ियां चढने लगा। गुलामी के दिनों में भारत में जो भी विकास रुक गया था उसे भारत देश आजाद होने के बाद भरपाई करने में लग गया। जैसा कि सभी को पता है कि भारत देश की लगभग 72% जनसंख्या कृषि पर निर्भर करती है इस बात को देखते हुए हमारे देश के जितने भी प्रधानमंत्री हुए उन्होंने कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण को काफी आगे बढ़ाया जिससे कि कृषि को और सरल बनाया जा सका। जैसा कि हर किसी को पता है कि किसी भी देश को अगर विकसित करना है तो उसकी जनसंख्या को सबसे पहले शिक्षित होना होता है इस बात को ध्यान में रखते हुए पुरानी सरकारों ने सर्व शिक्षा अभियान जैसे कई योजनाएं लाकर देश को शिक्षित करने का प्रण लिया। सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए जल थल और वायु सेवा जैसे सेनानियों की भर्ती की गई। देश को उन्नत करने के लिए तरह-तरह की मशीनों का आविष्कार किया गया। इस प्रकार से भारत की अर्थव्यवस्था दिन पर दिन और भी मजबूत होती गई।

और आज इंडिया इस लेवल पर आ गया है कि Amazon जैसी बड़ी और विदेशी कंपनियों को भी भारत में इतना scope दिखाई दे रहा है कि वे भारत में निवेश कर रही हैं। लेकिन इसका एक और कारण यह भी रहा है कि भारत की जनसंख्या विश्व में नंबर 1 पर है और इसीलिए यहां पर अगर कोई भी कंपनी अपना पैसा इनवेस्ट करेंगी या कोई सर्विस प्रोवाइड करेगी तो उसे सबसे ज्यादा फायदा भारत देश से ही होगा। इसलिए भी भारत में बहुत सारी विदेशी कंपनियां अपनी सर्विस और प्रोडक्ट्स को ला रहे हैं।

भारत देश की शिक्षा व्यवस्था में इस तरह से सुधार हुआ है कि आज विश्व में भारत अपने बलबूते कई कंपनियों को खड़ा करने का दम रखता है।भारत की शिक्षा व्यवस्था की बदौलत विदेश की बड़ी-बड़ी companies में भारत देश के नागरिक CEO के पद पर कम कर रहे हैं। फिर वह गूगल जैसी बड़ी कंपनी के CEO सुंदर पिचाई ही क्यों ना हो।

आज भारत देश की विदेश नीति इतनी अच्छी है की अधिकतम देशों से भारत के अच्छे रिश्ते बन रहे हैं। जिसकी बदौलत भारत विदेशी नीतियों को भी अपने देश में लाकर भारत को विकसित देश बनाने का प्रयत्न कर रहा है।

देखा जाए तो भारत की टेक्नोलॉजी और विज्ञान आज के समय में इतना आगे चला गया है कि भारत ने चंद्रयान 3 भी लॉन्च कर दिया है। जिसके बारे में दूसरे देश सोचते ही रह गए भारत ने वह करके दिखा दिया।

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