मूंग एक दाल वाली फसल है जिसे खरीफ की फसल के बाद उगाना चाहिए। भारत में मूंग की फसल के लिए सबसे अच्छी जलवायु राजस्थान की होती है इसीलिए मूंग का उत्पादन (Mung ki Kheti) सबसे अधिक राजस्थान में होता है जिसके बाद उत्तर प्रदेश, गुजरात और हरियाणा, मध्यप्रदेश राज्यों में भी देखने को मिलती है।
हमने अपने इस लेख में आपको बताया है नीचे कि मूंग की खेती किस प्रकार से की जाती है।
मूंग की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु, मिट्टी और तापमान | Climate, Soil and Temperature for Moong Cultivation (Mung ki Kheti)
मूंग की खेती (Mung ki Kheti) किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है लेकिन इसके लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी दोमट मिट्टी ही मानी जाती है इसमें जलभराव की आशंका नहीं होती है। मूंग की खेती के लिए उस मिट्टी का PH मान 6 से 8 के बीच में होना चाहिए।
इसके लिए गर्म जलवायु और अच्छी धूप की आवश्यकता होती है तथा साथ ही साथ यह फसल उष्णकटिबंधीय और उमस हालातों में बेहतरीन रूप से उगती है।
मूंग की खेती के लिए 30 डिग्री सेल्सियस से 40 डिग्री सेल्सियस अधिकतम तापमान चाहिए होता है तथा न्यूनतम 15 डिग्री सेल्सियस से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान में खेती होती है।
मूंग की अच्छी किस्में | Good varieties of Moong (Mung)
मूंग की खेती के लिए कुछ अच्छी चीजों को हम आपको यहां बता रहे हैं जिनमें की
R.M.G-62, RMG-344, पूसा विशाल किस्म,टाइप-44के, G.M-4 इत्यादि हित में है जो अलग-अलग जलवायु के हिसाब से बोई जाती हैं।
मूंग की फसल के लिए खेत की तैयारी | Field for Moong Crop | Mung ki Kheti ke liye Khet Kaise Tyar Kare?
मूंग की खेती के लिए खेत की मिट्टी भुरभुरी होनी आवश्यक होती है इसके लिए सबसे पहले आपको खेत की गहरी जुताई करवानी आवश्यक होती है जिसके बाद खेत को कुछ समय के लिए छोड़ देना चाहिए। और फिर उस खेत में 10 से 15 टन पुराने गोबर की खाद कुछ रखवा देना चाहिए और उसके पश्चात फिर से उस खेत को जुताई करवानी चाहिए। मूंग की खेती के लिए अधिक रासायनिक खादों की आवश्यकता नहीं होती है। क्योंकि इसके पौधे खुद ही नाइट्रोजन की पूर्ति हेतु से कर लेते हैं। इसीलिए खेत को जरूरत के हिसाब से ही उर्वरक देना चाहिए।
मूंग के बीजों को रोपने का सही समय | Best time to plant Moong (Mung) Seeds
मूंग की खेती के लिए सबसे अच्छा महीना जून और जुलाई के मध्य का होता है तथा जायद मौसम में मार्च और अप्रैल का महीना इसके लिए उपयुक्त होता है। क्योंकि मूंग की खेती बीजों के रूप में की जाती है तो इनके बीजों को पहले ही कार्बेंडाजिम से उपचारित कर लेना चाहिए जिससे कि बीज रोग मुक्त हो सके। प्रति एक हेक्टेयर के खेत में लगभग 10 से 12 किलोमीटर के बीजों की आवश्यकता हो सकती है।
मूंग के पौधों की सिंचाई | Irrigation of Moong (Mung) Plants
मूंग के पौधों की खेती के लिए आपको बीज की रोपाई से लेकर पैदावार देने तक कम से कम 5 से 6 बार खेतों को सिंचाई करने की आवश्यकता होती है। इसके लिए खेत की पहली सिंचाई बीज रोकने से 20 से 25 दिन बाद करनी चाहिए तथा दूसरी बार सिंचाई का समय 10 दिन के अंतराल पर ही करना चाहिए। अगर बारिश का मौसम है तो उस दौरान खेतों को कम पानी की आवश्यकता होती है तथा अगर आवश्यकता ना हो तो पानी नहीं भी देंगे तो चलेगा।
मूंग के खेतों की देखभाल व रोगों से नियंत्रण | Care and Control of Diseases in Mung ki Kheti
मूंग के पौधों को किसी भी रोग से बचाने के लिए उस खेत को खरपतवार मुक्त रखना चाहिए तथा यह ध्यान देना चाहिए कि आसपास में किसी भी प्रकार के दीमक या रोग वाले पेड़ ना हो जो कि अन्य पेड़ों में भी लगकर पूरी खेती को खराब करें इसीलिए इसकी खेती को अच्छी देखभाल की आवश्यकता होती है। आप चाहे तो समय-समय पर इन खेतों में रोगों से बचाव के लिए तरह-तरह के दवाइयों का इस्तेमाल कर सकते हैं तथा उनका छिड़काव कर सकते हैं।
मूंग के पौधों की कटाई और उनसे लाभ | Harvesting of Moong (Mung) Plants and Benefits
मूंग के पौधों को ग्रुप में रोपाई के बाद लगभग 60 से 70 दिन के बाद इसकी पैदावार तैयार हो जाती है तथा इसमें लगने वाली फलियों में गहरे काले रंग के फल दिखाई देने लगते हैं। इनके पूर्ण हो जाने के बाद मूंग के पौधों की कटाई कर लेनी चाहिए तथा बाद में ही इकट्ठा करके तेज धूप में सुखा लेना चाहिए जिससे कि उसकी फलियां धूप आकर खुद ब खुद खुल जाती है तथा उनमें से मूंग के फल बाहर निकल जाते हैं।
यदि आप मूंग को थोक भाव में बाजारों में बेचते हैं तो मूंग दाल प्रति 1 किलो कम से कम ₹130 से ₹150 तक बिकती है जिस हिसाब से यह प्रति कुंटल ₹15000 तक की कमाई करवाती है।
तो दोस्तों हमें आशा है कि आपको हमारे इस लेख से बहुत सारी जानकारियां मूंग की खेती के बारे में मिली है ऐसी ही और जानकारियों को जानने के लिए आप हमारे दूसरे लेखों को पढ़ सकते हैं।