दोस्तों अगर आप भी किसान हैं और कृषि के अन्य फसलों के साथ-साथ आप किसी व्यापारिक खेती के बारे में सोच रहे हैं, तो मशरूम की खेती आपके लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद हो सकती हैं। क्योंकि यह भारत के हर हिस्से में उगाई जा सकती है और कम लागत में अधिक से अधिक लाभ कमाया जा सकता है। इसकी खेती उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में भी की जाने लगी है और इसकी मांग देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
मशरूम क्या है?
मशरूम एक ऐसा पौधा है जिसे हम मांस के रूप में भी देखते हैं। कहने का मतलब यह है इस कि शाकाहारी पौधा नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि यह फफूंद से बनता है और इसका आकार लगभग 1 छत्ते के जैसा होता है, जो एक डंठल के ऊपर टिका हुआ होता है। इसमें अधिक मात्रा में प्रोटीन एवं पोषक तत्व मिलते हैं जैसे में प्रोटीन, फाइबर, खनिज और विटामिन आदि भरपुर मात्रा में पाया जाता है।
मशरूम के कितने प्रकार होते हैं?
देखा जाए तो मशरूम के पूरे विश्व भर में लगभग 10,000 प्रजातियां पाई जाती है, लेकिन इनमें से अगर सबसे अच्छी किस्में देखी जाए तो केवल 5 हैं,जो कि खाने व व्यापार दोनों के काम में आती हैं। जिनके नाम है बटन मशरूम, पैडी स्ट्रा, स्पेशली मशरूम, दवाओं वाली मशरूम, ओएस्टर मशरूम। इसमें बटन मशरूम सबसे ज्यादा पसंद की जाती है जिसे कि मिल्की मशरूम भी कहा जाता है।
मशरूम के बीज कैसे प्राप्त करें?
मशरूम की वीजा प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन भी मंगवा सकते हैं या फिर सीधे सरकारी कृषि केंद्रों की मदद से भी खरीद सकते हैं।
मशरूम के बीज का मूल्य-
मशरूम के बीज की कीमत लगभग ₹80 प्रति किलोग्राम होता है लेकिन कभी-कभी यह समय व किस्म के हिसाब से बढ़ता और घटता भी रहता है।
मशरूम का उपयोग
मशरूम का उपयोग कई जगहों पर होता है और इसको बेचने के लिए कई उपयुक्त जगहों पर बेचा जा सकता है जैसे में- होटल में, दवायें बनाने वाली मशीन की कंपनी, मार्केट व आदि जगहों पर। मशरूम का अधिकतम उपयोग चाइनीज खाने व सब्जी बनाने के लिए किया जाता है। इसके लाभकारी गुण की वजह से इसे मेडिकल के क्षेत्र में भी उपयोग किया जाता है और अब तो इसकी मांग देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी होने लगी है। जिससे कि इसका व्यापारिक दृष्टि से भी आयात व निर्यात जोरों शोरों से होने लगा है।
मशरूम की खेती के व्यापार में कितना इन्वेस्ट करना पड़ता है?
मशरूम की खेती के लिए लगने वाली लागत आपकी क्षमता और मेहनत के ऊपर निर्भर करती है| इस व्यापार में बस आपको विशेष तौर पर इसकी देखभाल, उगाने के स्थान को बनाने में ही पैसे खर्च करने पड़ते हैं।इसके अलावा कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल भी किया जाता है। अगर आप इस व्यवसाय को छोटे पैमाने से शुरू करते हैं तो 10,000 से ₹50,000 तक आपको इन्वेस्ट करना पड़ सकता है। और वही अगर आप बड़े पैमाने पर इस मशरूम की खेती के व्यवसाय करते हैं तो 1लाख से ₹10,00,000 तक आपको निवेश करना पड़ सकता है।
मशरूम की खेती कैसे करते हैं?
मशरूम की खेती के लिए आपको एक कमरे की जरूरत पड़ती है,लेकिन आप चाहे तो लकड़ियों का एक जाल बनाकर भी मशरूम की खेती करना शुरू कर सकते हैं। बाकी मशरूम की खेती को हम अपने इस लेख में स्टेप बाय स्टेप बताएंगे।
- Step1- मशरूम की खेती करने के लिए आप गेहूँ या धान के भूसे का उपयोग खाद के रूप में कर सकते हैं इसके लिए सबसे पहले आपको भूसे को कीटाणुओं से मुक्त करना होता है ताकि इसमें मौजूद कीटाणु एवं अशुद्धियां मशरूम की खेती को नुकसान न पहुंचा सके एवं मशरूम के पौधों की वृद्धि एवं उनके गुणों में कोई भी कमी ना कर सके। इसके बाद आपको लगभग 1500 लीटर पानी में डेढ़ किलो फार्मलीन और 150 ग्राम बेबिस्टीन कीटनाशकों को एक साथ मिलाना होता है। इसके बाद इस पानी में डेढ़ कुंटल गेहूं या धान के भूसे को अच्छे से मिला लेना चाहिए, उसके बाद उसे कुछ समय के लिए ढक कर रख देना चाहिए जिससे कि यह खाद या भूसा आपकी मशरूम की खेती उगाने का माध्यम बनकर तैयार हो जाता है।
- Step2- अब इस कीटनाशक युक्त भूसे को हवा में किसी अच्छी जगह फैला दें जिससे कि इस भूसे की नमी आधी हो जायें। इसके लिए एक दूसरे को बार-बार पलटना पड़ता है| इसके बाद यह भूसा बुवाई के लिए तैयार हो जाता है। अब इसकी बुवाई के लिए आपको एक पॉलिथीन बैग की जरूरत पड़ती है जोकि कम से कम 16 बाई 18 का हो जिसमें कि आप परतो के हिसाब से बुवाई कर सकते हैं जैसे कि पहले भूसा फिर उसके ऊपर बीज फिर भूसा फिर उसके बीज इस हिसाब से 4 से 5 परते आप बना लेते हैं। ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस बैग के नीचे दोनों कोनों में छेद करना चाहिए, जिससे कि बचा हुआ पानी निकल कर बाहर चला जाए। और थैली को एकदम कसके बांध दें जिससे कि इसमें बिल्कुल भी हवा न रह जाए।
दोस्तों केवल मिल्की मशरूम की खेती में ही परतदार बीजारोपण किया जाता है जिसमें की बीज और भूसे का अनुपात हर परत में बराबर होता है। इसके अलावा अन्य मशरूम की खेती बीज और भूसे को मिलाकर भी कर दी जाती है। बुवाई का कार्य समाप्त होने के बाद इन सारे पॉलिथीन के पैकेट को जगह जगह से छेद कर दिया जाता है जिससे कि मशरूम जैसे-जैसे विकसित होगा उन छेदों से बाहर निकलता जाएगा।
- Step 3- मशरूम की खेती का रखरखाव एवं नमी व तापमान पर नियंत्रण
मशरूम की खेती की क्रिया संपन्न करने के बाद इसे लगभग 15 दिनों तक हवा लगने से बचाना होता है जिसके लिए उस कमरे को पूरी तरह से बंद करना पड़ताहै। फिर 16वे दिन इस कमरे को खुला छोड़ कर इस कमरे में पंखे और नमी की व्यवस्था कर दें। इतने दिनों में आपको मशरुम की फसल नजर आने लगती है।
इसके बाद उस कमरे की नमी बनाए रखने के लिए उनके दीवारों पर पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए क्योंकि मशरूम की फसल को अधिक से अधिक मात्रा में प्राप्त करने के लिए उस वातावरण का तापमान 20 से 30 डिग्री तक ही ठीक रहता है। और साथ ही उस मशरूम की खेती की नमी लगभग 70 डिग्री तक बनी रही चाहिए।
- Step4- मशरूम की थैली कैसे रखें?
मशरूम की खेती करने के लिए उसके पॉलिथीन के पैकेट दो सही तरीके से रखना होता है इसके लिए आपको उन पॉलिथीन की थैलियों को या तो आप रस्सी की सहायता से बांधकर लटका दें या फिर लकड़ी के रैकेट बनवा कर उन पर रखें जिससे कि मशरूम के विकास में किसी प्रकार की भी बाधा ना आए।
- Step 5-मशरूम की फसल कितने दिनों में तैयार होती है?
जानकारों का कहना है कि मशरूम की खेती ज्यादा से ज्यादा 30 से 40 दिनों के भीतर काटने योग्य हो जाती है, उसके बाद आपको मशरूम के छत्ते आसानी से दिखाई देने लगते हैं जिन्हें आप हाथों से भी तोड़ सकते हैं।
मशरूम की खेती से मुनाफा-
मशरूम की खेती है एसी खेती है जिसे साल भर उगाया जा सकता है। और आपको बता दें कि मशरूम के बीज लगभग ₹80 किलो मिलते हैं लेकिन मशरूम लगभग 200 से ₹300 किलो बाजार में बिकता है। इस हिसाब से 25 से ₹30 में ही आप 1 किलो से अधिक मशरूम की फसल पैदा कर लेते हैं। इसीलिए मशरूम की खेती व्यापार के दृष्टि से देखा जाए तो बहुत ही मुनाफे वाली खेती है।
मशरूम की खेती करते वक्त ध्यान रखने योग्य बातें
मशरूम की खेती एक ऐसे कमरे में होनी चाहिए जिसका आकार कम से कम में 6 बाय 6 का होना चाहिए और सबसे जरूरी बात होती है कि उस कमरे में सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचनी चाहिए वरना मशरूम का पौधा खराब हो जाता है। मशरूम की खेती के लिए आपको पानी से भीगा हुआ भूसा हमेशा तैयार रखना होता है और इस पॉलिथीन में जिसमें हम मशरूम के बीज डालते हैं उसमें थोड़ा सा भी हवा नहीं रहना चाहिए।
दोस्तों हमने आपको अपने इस लेख में मशरूम की खेती करने की संपूर्ण जानकारी दी है हमें आशा है कि आपको हमारे द्वारा बताई गई यह जानकारियां लाभान्वित करेंगी। मशरूम एक ऐसी खेती है जिसे भारत में वर्ष भर कहीं भी किया जा सकता है बस उसके रखरखाव और आपकी मेहनत इसमें ज्यादा मायने रखती है।