फैट (fat) को हिंदी में “वसा” कहा जाता है। यह एक प्रकार का नुत्रियत्मक (neutralizing) पदार्थ है जो शरीर के लिए महत्वपूर्ण होता है। फैट शरीर को ऊर्जा उपलब्ध कराता है और उसे इंसुलेशन भी प्रदान करता है। फैट (तेल) सबसे ज्यादा मात्रा में खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं, और यह मुख्य रूप से तीन प्रकार के चिकनी अम्ल (Fatty acids) से मिलकर बना होता है| और ये तीन प्रकार है- सैचुरेटेड फैट, अनसैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट।
Fat के प्रकार
सैचुरेटेड वसा (फैट) (Saturated Fat)
अधिकतर सैचुरेटेड फैट ऐनिमल फैट होते हैं। वे सबसे अधिक मांस, पनीर, आइस क्रीम, दूध, मक्खन जैसे डेयरी उत्पादों में पाए जाते हैं। यह फैट बहुत ज्यादा खाने से कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है और दिल की बीमारी का डर बड़ी जाता है।
अनसैचुरेटेड वसा (फैट) (Unsaturated Fat)
दूसरी ओर, अनसैचुरेटेड फैट, इसमे भी दो प्रकार है- जैसे कि मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसैचुरेटेड फैट, अधिकांश वनस्पतियों से प्राप्त होता है. इनमें तेल, बीज, नट्स (अखरोट), और तिल समेत कई वसायी फलों के बीज शामिल होते हैं। ये विभिन्न पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत होते हैं।
ट्रांस फैट वसा (Trans Fat)
ट्रांस फैटआपके स्वास्थ्य के लिए कुछ स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। ये सबसे ज्यादा डेयरी प्रोडक्ट्स, पकाए हुए खाद्य पदार्थों, स्नैक्स, और फ़ास्ट फ़ूड, डीप-फ्राइड इत्यादि में पाया जा सकता है। यह आपके शरीर के लिए बेहद हानिकारक होता है।
शरीर में कितने प्रकार के फैट होते हैं ?
दोस्तों हमारे शरीर में मुख्य रूप से दो प्रकार के फैट होते हैं:
सुप्रजातीय फैट (Subcutaneous Fat)
यह फैट शरीर के अंदरी भागों, जैसे कि आंतरिक अंग, लिवर, इंसुलिन निर्माण कन्ट्रोल करने वाले पदार्थों के चारों ओर स्थित होता है। इसे दीप फैट (विसरल फैट) भी कहा जाता है और यह दिल की बीमारियों, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मेटाबोलिक सिंड्रोम जैसी समस्याओं के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है।
उपस्थित फैट (Supraqueous Fat)
यह फैट शरीर के बाहरी भागों, जैसे कि त्वचा के नीचे स्थित होता है। इसे उपस्थित (सुप्रक्वियस) फैट भी कहा जाता है और यह शरीर को गर्म रखने, प्रोटेक्शन प्रदान करने और ऊर्जा आपूर्ति में सहायता करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
दोनों प्रकार के फैट मात्रा और स्थान के हिसाब से अलग-अलग होते हैं और उनका शरीर पर अलग प्रभाव होता है।
फैट के मुख्य कार्य कुछ हैं
ऊर्जा संचय- फैट शरीर में ऊर्जा का मुख्य स्रोत होता है। जब हम आहार के रूप में खाद्य पदार्थों से फैट को अवशोषित करते हैं, तो शरीर इसे संचित करता है और जब आवश्यकता होती है, तब इसे उपयोग करता है।
इंसुलेशन- फैट शरीर को इंसुलेशन प्रदान करता है और उसे ठंड से बचाता है। यह अंग-अंग को गर्म रखने में मदद करता है और शरीर को तापमान की संतुलन रखने में मदद करता है।
संक्रमण से सुरक्षा- फैट एक प्रकार की प्राकृतिक संक्रमण प्रतिरक्षा प्रणाली होती है। यह संक्रमण से लड़ने में मदद करता है और शरीर को संक्रमणों से बचाता है।
विटामिनों के संचय- फैट विटामिन A, विटामिन D, विटामिन E, और विटामिन K जैसे विटामिनों को संचयित करता है, जो शरीर के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इन विटामिनों को फैट के साथ उपभोग करने से उनकी अवशोषण बेहतर होती है।
सबसे ज्यादा वसा (FAT) किस खाद्य पदार्थ में पाया जाता है?
फैट की मात्रा हर खाद्य पदार्थ में भिन्न होती है, खाद्य पदार्थों में फैट की मात्रा पदार्थ के प्रकार और स्रोत पर निर्भर करती है। यह फैट उपस्थिति अलग-अलग पदार्थों में भिन्न हो सकती है।
निम्नलिखित आम खाद्य पदार्थों में फैट की प्राकृतिक मात्रा होती है-
1-घी- घी 100% फैट से बना हुआ होता है। यह पूरा का पूरा फैट ही होता है। मान लीजिए कि 1 किलो घी अगर आप खरीदते हैं तो आपने 1 किलो फैट ही खरीदा है।
2-तेल- विभिन्न प्रकार के तेलों में विभिन्न प्रमाणों में फैट होती है। जैसे कि जैतून का तेल लगभग 100% फैट से बना होता है।
3-मक्खन- मक्खन में लगभग 80% से 85% फैट होती है।
4-दूध और दूध से बने उत्पाद (जैसे कि दही, पनीर)- दूध में फैट की मात्रा विभिन्न होती है, यह दूध के प्रकार पर भी निर्भर करती है। पूर्ण दूध में लगभग 3.25% फैट होती है। पूर्ण दूध से बने अन्य उत्पाद इस प्रमाण में फैट की मात्रा होती है।
5-ड्राई फ्रूट्स- ड्राई फ्रूट्स में वसा की मात्रा भिन्न-भिन्न होती है और यह ड्राई फ्रूट के प्रकार पर भी निर्भर करती है। निम्नलिखित मात्राओं में से आपको वसा की उच्च और निम्न मात्राएं मिल सकती हैं:
- कैश्यूनट: कैश्यूनट में आमतौर पर 46-48% वसा होती है।
- बादाम: बादाम में आमतौर पर 45-55% वसा होती है।
- अखरोट: अखरोट (वालनट) में आमतौर पर 65-70% वसा होती है।
- मूंगफली: मूंगफली (पीनट्स) में आमतौर पर 44-56% वसा होती है।
- पिस्ता: पिस्ता में आमतौर पर 45-55% वसा होती है।
- किशमिश: किशमिश में आमतौर पर कम से कम 2% वसा होती है।
- खजूर: खजूर में आमतौर पर कम से कम 0.2% वसा होती है।
6-मांस और मांस से बने उत्पाद- मांस में फैट की मात्रा विभिन्न हो सकती है और यह मांस के प्रकार और शोध के आधार पर भिन्न होती है। आमतौर पर, मांस के प्रमाण में 10% से 30% फैट हो सकती है।
7- फल और सब्जियां- फल और सब्जियों में फैट की मात्रा अपेक्षाकृत कम होती है। यहां भी प्रमाण विभिन्न हो सकता है, लेकिन आमतौर पर फलों और सब्जियों में बहुत कम फैट होती है|
वसा (फैट) की अधिक मात्रा के दुष्परिणाम-
जब शरीर में फैट की मात्रा अधिक होती है, तो कुछ स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यहां कुछ संभावित परिणाम हैं-
मोटापा- अधिक फैट शरीर के आकार को बढ़ा सकती है और मोटापा का कारण बन सकती है। मोटापा कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारक है, जैसे कि दिल की बीमारी, मधुमेह, हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप), विषाणु संत्रस्तता, जोड़ों की समस्याएं और कई अन्य।
हृदय रोग- अधिक फैट संघटित होने के कारण, शरीर में हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं, जैसे कि आर्टरीओस्क्लेरोसिस (प्रमेह), हृदय अटैक, और दिल की बड़ी वृद्धि (कार्डिएक हेपेटोमेगली)।
इम्यून सिस्टम की कमजोरी- ज्यादा फैट के बढ़ जाने से, प्राकृतिक किर्मित पदार्थों की प्रोडक्शन में कमी हो सकती है, जिसके कारण इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है और संक्रमणों का सामना करने में कठिनाई हो सकती है।
मानसिक समस्याएं- मोटापा संबंधित हो सकती है आत्मसंयम, आत्मविश्वास की कमी, और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं के साथ।
फैट की मात्रा को नियंत्रित रखने के लिए, स्वस्थ आहार, नियमित शारीरिक गतिविधि और योग का अभ्यास करना आवश्यक होता है।
तो दोस्तों हमें आशा है कि हमारे द्वारा फैट के बारे में दी गई सभी जानकारी आपको अच्छे से समझ में आई होगी तथा उनके सभी भागों को हमने आपको विस्तृत रूप से समझाया है अपने लेख में, तो आज ही अपने स्वास्थ्य को सही रखने के लिए निम्न व्यायाम योग व सीमित आहार को अपने दिनचर्या में शामिल करके अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं।