बेबी कॉर्न किसे कहते हैं?
दोस्तों भारत में दिन-प्रतिदिन कृषि का विस्तार होता जा रहा है और यहाँ नई-नई फसलें उगाई जाने लगी है जिनमें से ऐसी बहुत सारी फसलें हैं जिनकी व्यापारिक तौर पर खेती की जाती है। उन्हीं में से एक है बेबी कॉर्न की खेती। बेबी कॉर्न मकई का अपरिपक्व रूप है, मतलब यह कि अधपके मक्के के भुट्टे को बेबी कॉर्न या शिशु मक्का भी कहा जाता है। जो बेहद ही स्वादिष्ट पौष्टिक और बिना कोलेस्ट्रॉल वाला खाद्य आहार है। इसमें फाइबर की प्रचुर मात्रा होती है। बेबी कॉर्न में एक अंडे जितना खनिज पाया जाता है। यह पत्तों में लिपटी होने की वजह से कीटनाशकों रसायनों से मुक्त होता है।
बेबी कॉर्न की खेती कब की जाती है?
बेबी कॉर्न की खेती सालभर में 3 से 4 बार की जाती है। बेबी कॉर्न कि खेती एक ऐसी खेती है जो रबी में 110 से 120 दिनों में, जायद में 70 से 80 दिनों में और खरीफ में 55 से 65 दिनों में तैयार होती है। बेबी कॉर्न को नमी और सिंचित रखने के आधार पर ही इसकी खेती जनवरी से अक्टूबर तक की जा सकती है तथा मार्च के दूसरे सप्ताह में बुवाई करने के बाद अप्रैल के तीसरे सप्ताह तक यह तैयार हो जाती है।
भारत में बेबी कॉर्न कहाँ-कहाँ होती है?
भारत में सबसे ज्यादा बेबी कॉर्न की खेती बिहार, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश,आंध्र प्रदेश, आदि राज्यों में की जाती है। लेकिन बेबी कॉर्न कि इन सभी राज्यों में से सबसे ज्यादा राजस्थान और कर्नाटक में उत्पादन होता है।
बेबी कॉर्न की खेती
बेबी कॉर्न की खेती हर किसान के लिए मुनाफे के दृष्टि से एक अच्छी फसल है। बेबी कॉर्न की खेती साल भर में 3 से 4 बार की जा सकती है। लेकिन इसके लिए विभिन्न प्रकार की जलवायु में किस प्रकार से खेती करें हम अपने इस लेख में आपको बताएंगे-
बेबी कॉर्न की खेती करने के लिए उत्तम जलवायु
बेबी कॉर्न की खेती के लिए अच्छी धूप का होना बहुत ही जरूरी है। और अच्छी जलवायु के साथ में कम से कम 22 डिग्री सेल्सियस से 28 से 29 डिग्री सेल्सियस तापमान होना जरूरी है। इस तापमान को ध्यान में रखते हुए बेबी कॉर्न की खेती करनी चाहिए जिससे कि किसानों को अधिक उत्पादन का लाभ मिल सके।
बेबी कॉर्न की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
बेबी कॉर्न की खेती के लिए सबसे अच्छी बलुई दोमट मिट्टी या अम्लीय मिट्टी भी होती है। बेबी कॉर्न के बीजों को लगाते समय उस खेत की मिट्टी अच्छी तरह से सुखी और उपजाऊ होनी चाहिए। जिस खेत में बेबी कॉर्न की फसल उगाने है उस मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7 होना चाहिए।
बेबी कॉर्न की खेती के लिए खेत तैयार करना व खाद देना
इसकी खेती से पहले खेत को 3 से 4 बार डिस्क से जुतवा देना चाहिए। इसके बाद अंततः खेती करने से पहले कल्टीवेटर से जुताई करवानी चाहिए। जिससे की मिट्टी और भी बारीक हो जाती है। और साथ ही साथ बीज भी अच्छे से अंकुरित हो पाएंगे। बेबी कॉर्न फसल उगाने के लिए खेत में लगभग प्रति हेक्टेयर 15 टन यार्ड खाद या गोबर के खाद की आवश्यकता पड़ती है।
बेबी कॉर्न कि खेती के लिए किसान को चाहिए कि अच्छे से अच्छे गुणवत्ता वाले बीज का उपयोग करें। जिसमें की प्रति हेक्टेयर लगभग 20 से 25 किलो बीज का उपयोग होता है। इस फसल की खेती में एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी लगभग 15 सेंटीमीटर की होती है। खेतों में बुवाई के 3 सप्ताह बाद खाद के रूप में 80 किलो नाइट्रोजन और 20 किलो पोटाश खाद देना चाहिए।
बेबी कॉर्न खेत की सिंचाई
बेबी कॉर्न की खेती जलजमाव को सहन नहीं कर पाती है, इसीलिए खेत पर जल निकासी का भी रास्ता होना चाहिए।सामान्यतः इसकी खेती में पौधे लगने और फलाने की अवस्था में ही बेहतर उपज के लिए सिंचाई करना आवश्यक होता है क्योंकि इस खेती को ज्यादा पानी देने से फसल को काफी नुकसान होता है। और बारिश में तो इसे सिंचाई की जरूरत ही नहीं पड़ती है जब तक कि अधिक समय तक सूखा न पड़ जाए।
बेबी कॉर्न की फसल का उत्पादन
बेबी कॉर्न की खेती बुआई के लगभग 50 से 60 दिनों के बाद काटने लायक हो जाते हैं। पढ़ाई के लिए भुट्टे का आकार लगभग 9 से 10 सेंटीमीटर लंबा और भुट्टे का व्यास लगभग 1 से 1.5 सेमी होता है। बेबी कॉर्न को लगभग 1 से 3 सेंटीमीटर तक सिल्क आ जाने पर ही तोड़ना चाहिए। बेबी कॉर्न के ऊपर की पत्तियां तभी हटाए जब आप उसे इस्तेमाल करने वाले हो वरना यह जल्द ही खराब हो जाती हैं।
बेबी कॉर्न का उपयोग
चूंकी बेबी कॉर्न हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी है इसीलिए आजकल लोग इसे अपनी डाइट में रखना पसंद करते हैं। इसका उपयोग सलाद के तौर पर,सुप में अन्य तरीकों से किया जाता है। बेबी कॉर्न में फाइबर की मात्रा बहुत पाई जाती है और साथ ही साथ आयरन ,विटामिन बी,फोलिक एसिड भी अच्छी मात्रा में पाई जाती है।
बेबी कॉर्न की फसल में लागत और मुनाफा
बेबी कॉर्न की खेती के लिए अगर आप 2 हेक्टेयर में या खेती करते हैं तो आपको लगभग 50 से ₹60,000 खर्च करना होगा। इसकी खेती में जुताई ,बुवाई ,सिंचाई ,कीटनाशक व् अन्य में यह सारे खर्च जोड़े जाते हैं। लेकिन साथ ही इसमें प्रति हेक्टेयर आपको लगभग 2 से ढाई लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है। क्योंकि इसकी खेती साल में तीन से चार बार की जाती है तो इससे होने वाले मुनाफे का अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं
दोस्तों हमें आशा है कि हमारे द्वारा इस लेख में बताई गई बेबी कॉर्न की खेती की सभी विस्तृत जानकारियां आपको लाभान्वित कर पाएंगी। और आप भी व्यापारिक दृष्टिकोण से अन्य फसलों के साथ-साथ बेबी कॉर्न की खेती करने में सफल होंगे।