वैज्ञानिक तौर पर मधुमक्खी पालन का काम 18 वीं सदी के अंत मे शुरु हुआ था। लेकिन आज के युग में बाजार की बढ़ती हुई शहद की मांग इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि आज के समय में मधुमक्खी पालन व्यवसाय(Honey Bee Farming)कितना लाभकारी हो सकता है। आज के दौर में कम लागत में मधुमक्खी पालन कुटीर उद्योग के रूप में विकसित हो रहा है। इसमें कम लागत में अधिक मुनाफा मिलता है।
मधुमक्खी पालन व्यवसाय बेरोजगारों व किसानों के लिए एक अच्छा व्यवसाय है। और सरकार द्वारा मधुमक्खी पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए ₹500 करोड़ रूपये का प्रावधान भी किया गया है। और वैसे भी आजकल किसान भाई मधुमक्खियों का पालन शहद प्राप्ति के साथ साथ अपने फसल के परागण के लिए भी करते हैं। भारत देश में मुख्य रूप से इटालियन मेलीफेरा नामक मधुमक्खी का पालन किया जाता है। उनके स्वभाव से शांत होने के कारण इन मधुमक्खियों को पाला जाता है।
सरकार द्वारा मधुमक्खी पालन योजना-
मधुमक्खी पालन योजना केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वपूर्ण योजना है। इसे शुरू करने का सबसे मुख्य कारण है कि किसान व बेरोजगारों के बीच में एक रोजगार का अवसर देना। और सरकार द्वारा मधुमक्खी पालन योजना के लिए नि;शुल्क प्रशिक्षण केंद्र भी चलाया जा रहे हैं।
मधुमक्खी पालन योजना शुरू करने का तरीका व मधुमक्खियों के प्रकार-
यदि हम मधुमक्खियों के प्रकार की बात करें तो इस पृथ्वी पर लगभग 20,000 प्रकार की मधुमक्खियां पाई जाती है लेकिन इसमें से केवल 4 प्रकार की ही ऐसी मधुमक्खियां है जो शहद बनाती हैं।
दोस्तों आपको बता दें कि मधुमक्खी पालन के लिए तीन प्रकार की मधुमक्खियों की आवश्यकता होती है पहली रानी मधुमक्खी जो कि 24 घंटे में लगभग 800 से 1500 अंडे देती है। दूसरे प्रकार की मधुमक्खी को श्रमिक मक्खी भी करते हैं क्योंकि वह अंडे से निकलो बच्चों के लिए खाना खिलाने का इंतजाम करती है। मधुमक्खी पालन में श्रमिक मधुमक्खी की संख्या लगभग 20,000 से 30,000 तक होनी चाहिए और तीसरा प्रकार है ड्रोन मधुमख्खी या नर मधुमक्खी जोकि रानी मधुमक्खी को गर्भधारण करवाता है। एक डिब्बे में इनकी संख्या लगभग 200 से 300 तक होनी चाहिए।
मधुमक्खी पालन योजना में ध्यान देने योग्य बातें–
मधुमक्खी पालन के लिए ध्यान देने योग्य कुछ बातें हैं जिसे आपको जानना चाहिए।
मधुमक्खी पालने के लिए सही जगह–
मधुमक्खी पालन के लिए किसी ऐसे जगह का चुनाव करना चाहिए जहां आसपास पेड़-पौधे हो फल फूल हो, चारों तरफ से वह स्थान हवादार व खुला होना चाहिए। और साथ ही जहाँ मधुमक्खियों के पालन की व्यवस्था करनी है वहां प्राकृतिक व कृत्रिम रूप से साफ पानी का भी इंतजाम करना चाहिए।
मधुमक्खी के व्यवहारिक ज्ञान व प्रशिक्षण योजना–
मधुमक्खी पालन योजना शुरू करने से पहले मधुमक्खी और मधुमक्खी पालक के बीच रिश्ता बनाना आवश्यक है। इसीलिए आप जिस क्षेत्र में मधुमक्खियों को पालने वाले हैं उनके साथ रहकर आपको व्यवहारिक तौर पर उन्हें जानना चाहिए। और अगर आप मधुमक्खियों को पहले से नहीं जानते हैं तो जिस उद्दमी ने उनके साथ काम किया है उसके साथ आपको रहकर प्रशिक्षण लेने की जरूरत होती है।और यह व्यवसाय शुरू करने से पहले कम से कम 2 छत्तो के साथ शुरू करना चाहिए और धीरे-धीरे अपने व्यवसाय को बढ़ाना चाहिए।
मधुमक्खी पालन योजना के लिए उपयोगी उपकरण–
मधुमक्खी पालने के लिए अलग-अलग मौसम के लिए अलग-अलग उपकरणों की आवश्यकता होती है जिनमें से-
- विशेष मास्क
- एक मोटा और एक पतला ब्रश
- डंक निकालने वाला उपकरण
- प्रोपोलिस स्ट्रीप
- हाँथ का दस्ताना
- धुआं करने वाले यंत्र
- एल आकार के मधुमक्खी का छत्ता
- रानी मधुमक्खी को अलग करने वाला यंत्र
- शहद निचोड़ने वाला यंत्र
- मोम अलग करने के लिए एक विद्युत चाकू
परागण करने का प्रबंध-
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मधुमक्खियाँ फूलों व पौधों से पराग व मधु एकत्रित करती हैं। तो अपना व्यवसाय आप ऐसे जगह से शुरू करें जहाँ से पास में ही लगभग 10% फूलों के बाग़,पौधे हों। जिससे कि मधुमक्खियों को शहद प्राप्त करने में आसानी हो सकें।
मधुमक्खी पालने का सबसे सही समय-
मधुमक्खी पालने के लिए सबसे सही समय सर्दी का मौसम है अगर सामान्य भाषा में आपको बताएं तो सितंबर से अक्टूबर के महीने में मधुमक्खी पालने के व्यवसाय का इंतजाम कर लेना चाहिए क्योंकि इस महीने में फूलों की ऊपज ज्यादा होती है ।और नवंबर का महीना आते आते आप इसका व्यापार भी कर सकते हैं। मधुमक्खियों की आयु ज्यादा से ज्यादा 3 साल तक होती है।
मधुमक्खियों को रोगों व कीटों से बचाना–
यदि उद्दमी अपने Honey bee farming businesses से अच्छी कमाई करना चाहता है तो Beekeeping से पहले उन्हें कीटो और रोगों से बचाकर रखने की भी तैयारी करके रखनी चाहिए। ज्यादातर तितलियाँ, चींटियाँ, ततैया जैसे किट से इन्हे बचाना चाहिए। और इनमे होने वाले रोग नोसेमा रोग, ब्रूड रोग से बचाना चाहिए।
उत्पादों को इकट्ठा करना–
मधुमक्खी पालन व्यवसाय से उत्पादित उत्पादों को जिनमें शहद,रॉयल जेली, बी वेनम, प्रोपोलिस, बी वैक्स और पराग मुख्य रूप से होते हैं इन उत्पादों को प्राप्त करने के लिए उद्यमी को एक कोम्ब का चयन करना होता है। फिर चाकू की सहायता से मोम की परत को हटा दिया जाता है।और इन फ्रेमो को हाथ से चलाने वाली मशीन में रखकर हैंडल को घुमाने से फ्रेमो में जमा गाढ़ा शहद मशीन के ड्रम में एकत्रित होता रहता है।
ध्यान देने योग्य बातें-
- मधुमक्खियों के छत्ते वाले घर को देखने से पहले चेहरे पर बी-वेल लगा लें।
- काले अथवा गहरे रंग के कपड़ो को नहीं पहने।
- सुगन्धित तेल या अन्य रसायनों का उपयोग न करें।
- कॉलोनी को बहुत तेजी या झटको से निरिक्षण नहीं करें।
- मधुमक्खी के डंक मारने के बाद हाइव टूल की मदत से डंक निकाल दें।
- रानी वाली फेम का ध्यान से निरिक्षण करें।
- खराब मौसम जैसे हवा, अधिक सर्दी, बादल आने पर कॉलोनी को न खोलें।
- मधुमक्खी पालन के लिए सरकार द्वारा लाइसेन्स
मधुमक्खी पालन व्यवसाय के लिए आपको अपनी दुकान का रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है व इसके बाद शहद व्यवसाय के लिए खाद्य विभाग से FSSAI लाइसेंस लेने की आवश्यकता होगी।
मधुमक्खी पालन व्यवसाय में लागत व मुनाफा-
अगर आप मधुमक्खी पालन छोटे पैमाने पर करना चाहते हैं तो लगभग 20 पेटी पर ₹100000 का इन्वेस्टमेंट करना होगा। और अगर आपको तो 100 पेटियों से शुरुआत करनी है तो लगभग ₹500000 तक इन्वेस्टमेंट करना पड़ता है। शुद्ध 1 किलो शहद की कीमत 300 से ₹700 तक होती है इस हिसाब से अगर हम समझे तो मधुमख्खी पालन व्यवसाय काफी मुनाफे का सौदा है।
दोस्तों हमने आपको अपने इस लेख में मधुमक्खी पालन से संबंधित है वह बाते बतायी है जिससे आपके लिए इस व्यवसाय को शुरू करने से पहले जानना जरूरी है। शहर हमारे जीवन में कितना उपयोगी है यह हम सभी को पता है जिसके तहत वह इसकी मांग को देखते हुए हमें इस बिजनेस को बढ़ावा देना चाहिए। तो हमें आशा है कि आप हमारे इस लेख से खुश होंगे।