खजूर की खेती विश्व भर में इराक, ईरान, सऊदी अरब, मिस्र, लीबिया व स्पेन जैसे देशों में काफी मात्रा में होती है। भारत में इसकी खेती जैसलमेर, बारमेर, बीकानेर व जोधपुर में होती है। अगर आप खजूर की खेती को अपने व्यवसाय के तौर पर करना चाहते हैं तो आपको इसके बारे में पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।
खजूर की खेती–
खजूर की खेती व्यवसायिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है।इस व्यापार में न के बराबर जोखिम होता है, क्योंकि खजूर की मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है। खजूर का सबसे अधिक उपयोग रमजान महीने में किया जाता है। जिससे मुनाफा बहुत होता है।
दोस्तों हम आपको अपने खजूर की खेती के मुख्य चरणों के बारे में चर्चा करेंगे।
1- खजूर की खेती के लिए जलवायु-
खजूर की खेती के लिए शुष्क जलवायु अच्छा माना गया है। इसके लिए गर्मियों में उच्चतम तापमान 50 डिग्री सेल्सियस और सर्दियों में न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक तापमान यह सहन कर सकते हैं। इनके अच्छे विकास के लिए 7 डिग्री सेल्सियस से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए। और खजूर के पौधों पर फूल लगने से फल होने तक 24 डिग्री से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए। इन पेड़ों के लिए बारिश की आवश्यकता नहीं होती है।मरुस्थलीय क्षेत्रों में इसकी खेती को आसानी से किया जा सकता है ।
2- खजूर की खेती के लिए भूमि–
खजूर की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में की जा सकती है लेकिन इसके लिए सबसे अच्छी मिट्टी बलुई दोमट मिट्टी और भुरभुरी मिट्टी को ही माना गया है।
खजूर की खेती के लिए मिट्टी का Ph मान 8 से 9 के मध्य होना चाहिए।
3- खेत को तैयार करना-
खजूर की खेती करने वाले खेत को जोत कर कुछ दिन के लिए छोड़ देना चाहिए। और उसके खर पतवार को खेत से साफ कर देना चाहिए जिससे कि खेत एकदम साफ और कीटाणु मुक्त हो जाए। जिसके बाद फिर से कल्टीवेटर से 2 से 3 जुताई करवानी चाहिए जिससे कि उस खेत कि मिट्टी और भी भूर भूरि हो जाए। जिससे की मिट्टी समतल हो जाए और उस खेत में जल भराव की समस्या ना होने पाए।
4- खजूर लगाने की तैयारी–
उस खेत में हर 6 से 8 मीटर की दूरी पर एक खड्डा तैयार करना चाहिए। अब उन गड्डो में पुराने गोबर की खाद डालकर उन्हें अच्छे से मिट्टी में मिला लेना चाहिए। इसके बाद उन गड्डो में कैप्टान या फोरेट खाद देना चाहिए। जिसके बाद उनकी सिंचाई करनी चाहिए। गड्ढों को रोपाई के 1 महीने पहले ही तैयार किया जाता है।
प्रति एकड़ खेत के हिसाब से 4 किलो यूरिया खाद का छिड़काव हर 2 साल पर करना चाहिए।
5- खजूर कि खेती करने का सही तरीका-
खजूर के बीजों को रोपने से अच्छा है उसके पौधों को रोपे क्योंकि यह जल्द ही तैयार हो जाते हैं। रोपने के लिए पौधे खरीदते समय यह ध्यान दें कि सभी पौधे स्वस्थ हो। सरकारी नर्सरी से खरीदे हुए पौधों पर 70% तक छूट भी मिलती है। तैयार किए गए गड्ढो में खजूर के पौधों को रोपें। खजूर की रोपाई के लिए सबसे अच्छा महीना अगस्त माना गया है। 1 एकड़ खेत में 70 से 80 खजूर के पौधे लगाए जा सकते हैं।
6- सिंचाई–
खजूर के पौधों को बहुत ही कम पानी की आवश्यकता होती है गर्मियों के मौसम में इसे 15 से 20 दिन में एक बार इन्हें पानी देना चाहिए। और सर्दियों में लगभग 1 महीने बाद एक बार। खरपतवार को साफ करते रहे जिससे कि खेत स्वस्थ्य रहें।
7-खजूर के फलों कि पैदावार-
खजूर के पेड़ की रोपाई के 3 साल बाद फल देना शुरू करते हैं। इनके फलों को तीन चरणों में तोड़ा जाता है। पहले चरण में ताजे फलों को तोड़ा जाता है। दूसरे चरण में नर्म फलों को तोड़ा जाता है। और तीसरे चरण में छुहारे के लिए तैयार फलों को तोड़ा जाता है।
8- खजूर की खेती में लागत-
खजूर की खेती में कम लागत लगती है। इसका एक पौधा 3 से 5 साल में तैयार होकर 70 से 100 किलो की पैदावार देता है। 1 किलो खजूर 100 से ₹3000 तक के बिकते हैं। इस हिसाब से 1 एकड़ के खेत से 4 से ₹500000 तक की कमाई हो जाती है।
खजूर के विश्व भर में 3 से 4000 प्रकार होते हैं जिसमें से लगभग 1000 प्रकार तो भारत में ही पाए जाते हैं।
दोस्तों आपने हमारे इस लेख में पढ़ा कि खजूर की खेती किस प्रकार से की जाती है? आशा है कि आप को खजूर के व्यवसाय में व खेती में हमारा यह लेख बहुत उपयोगी साबित होगा।