मोती की खेती कैसे करें? | How to do Pearl Farming? | Moti Ki Kheti Kaise Kare?
आज के समय में किसान भाई पारंपरिक खेती के साथ-साथ व्यापारिक खेती करने पर भी जोर दे रहे हैं जिससे कि उनकी रोजमर्रा की जिंदगी आसान हो जाए। उन्हीं में से एक है मोती की खेती (moti ki kheti)। जो कि बेहद ही मुनाफे वाली खेती मानी जाती है। इतनी बुवाई के तौर पर सीपों का उपयोग किया जाता है जिनसे की मोतीयों को प्राप्त किया जाता है। यह मोती बेहद ही कठोर और चमकीले रत्न होते हैं जिनका प्राचीन काल से ही आभूषणों और सजावट के सामानों में उपयोग होता है।यह खेती समुन्द्र के किनारे रहने वाले किसानो के साथ साथ सामान्य किसान भी कर सकते है| तो आज हम आपको अपने इस लेख में मोती की खेती किस प्रकार से की जाती है के बारे में बताएंगे।
मोती की खेती के लिए तालाब की तैयारी | Preparation of Pond for Pearl Farming
मोतियों की खेती करने के लिए सबसे पहले आपको उस तालाब की तैयारी करनी पड़ती है जिसमें कि आप सीपों को रखने वाले हैं। इसके लिए आपको एक बड़ा खड्डा खन कर नीचे सीमेंटेड एरिया बनाकर उसके ऊपर प्लास्टिक की थैली बिछा देना चाहिए| और उसके बाद उस खड्डे में पानी भरना चाहिए। ऐसा करने से उस खड्डे से पानी जल्दी नहीं सूखेगा और अगर आपके पास ऐसा कोई तालाब पहले से मौजूद है जिसमें पानी एकत्रित हो सकता है तथा साफ पानी है तो आप उसमें भी सीपों को बो सकते हैं।
सीप को कैसे तैयार करें? | How to Prepare Oysters? | Sipo ko Kaise Tayar kare?
मोतियों को बनाने के लिए हमें सीपों की आवश्यकता होती है जिन्हें आप किसी नदी से प्राप्त कर सकते हैं या फिर बाजारों से किसी थोक विक्रेता से खरीद सकते हैं। इन सीपों को साफ पानी में रखने की जरूरत होती है क्योंकि यह गंदे पानी में नहीं टिक पाते हैं या फिर गंदे पानी द्वारा यह मोती नहीं तैयार कर पाते। भोजन के लिए काई (सैवाल) का इस्तेमाल करते हैं।
मोतियों के प्रकार | Types of Pearls
मोती (Pearls) कई प्रकार के होते हैं। जिनमे से हमने आपको कुछ प्रकारों के बारे में यहाँ बताया है-
सफेद मोती (White Pearls)- सफेद मोती सबसे आम और प्रसिद्ध प्रकार के मोती हैं। इनका रंग सफेद या अल्बिनो होता है।
हलका सफेद मोती (Cream Pearls)- ये मोती आंतरिक रंग में हल्के गुलाबी, पीले या ब्राउन शेड के साथ आते हैं। इनकी सफेदी अपार्यंत चलती है।
सफेद-गुलाबी मोती (Pinkish White Pearls)- ये मोती सफेद या गुलाबी रंग के होते हैं और उनमें एक मिश्रण दिखाई देता है।
स्वर्णमोती (Golden Pearls)- ये मोती हल्के पीले, स्वर्ण या ब्राउन रंग के होते हैं। इनकी पहचान स्वर्ण ध़ातु के रंग और चमक से होती है।
गहरे नीले मोती (Dark Blue Pearls)- ये मोती गहरे नीले रंग के होते हैं और इनका आकार तेज़ होता है। इन्हें अकीकामोती भी कहा जाता है।
रोज पिन्क मोती (Rose Pink Pearls)- ये मोती गुलाबी या लालमिश्रित रंग के होते हैं। इन्हें टिंकलमोती भी कहा जाता है।
ब्लैक मोती (Black Pearls)- ये मोती काले या गहरे नीले रंग के होते हैं। इन्हें तहितीमोती भी कहा जाता है और ये मुख्य रूप से तहिती द्वीप में पाए जाते हैं।
ये कुछ प्रमुख मोती के प्रकार हैं, लेकिन इसके अलावा भी बहुत सारे अन्य प्रकार के मोती उपलब्ध होते हैं जैसे कि फेशन मोती, मेटलिक मोती, मिकी मोती आदि।
मोती की खेती कब की जाती है? | When is Pearl Farming Done? | Moti ki Kheti ke Liye Season
मोतियों की खेती करने के लिए सबसे अच्छा समय सर्दियों का मौसम अक्टूबर और दिसंबर का महीना सबसे उचित माना गया है। इसी मौसम में सीपों में बीड को रखकर शल्य चिकित्सा द्वारा उन्हें तैयार किया जाता है तथा कुछ समय तक नेचुरल bhojan और एंटीबायोटिक देकर उन्हें तालाब में डाल देते हैं इसके बाद उन्हें सही मात्रा में पोषक तत्व दिया जाता है जिससे कि वह तैयार होते हैं।
सीपो का ऑपरेशन
मोतियों को बनाने की प्रक्रिया के लिए उनका ऑपरेशन किया जाता है यानी कि सीप के अंदर 4 से 6 मिलीमीटर के आकार के रेत के कण को या बीड़ को ऑपरेशन द्वारा डाला जाता है। ध्यान दीजिए कि इस शल्य क्रिया के दौरान सीप को अधिक नहीं खोलना चाहिए क्योंकि सीप के टूटने से सीप मर जाते हैं। जो कि आपके मोतियों की खेती पर प्रभाव डालता है। और पैदावार को कम कर देता है।
मोती को तैयार होने का समय? | Time to Get Pearl Ready? Moti Tyar hone me kitna samay lagata hai?
मोती को खेती करने के लिए लगभग 3 साल पुरानी सीपों को उपयोग में लाना चाहिए। इसकी वजह से जब आप सीपों की खेती करते हैं मोती प्राप्त करने के लिए तो इसमें ज्यादा से ज्यादा 8 से 14 महीने का समय लगता है। इन सीपों में मोती तैयार करने का काम घोंघा नामक जीव जो कि कई प्रकार के होते हैं वही मोती तैयार करते हैं। क्योंकि जिन सीपों में यह रहते हैं उसमें रेत की कण या कुछ डाल देने पर वह कण उन्हें चुभने लगते हैं और इसी पर वह कुछ विशेष प्रकार के तरल पदार्थ छोड़कर उन्हें गोलाकार दे देते हैं जिन्हें कि हम मोती कहते हैं और यह मोती सिल्वर रंग के जब हो जाते हैं तब इन्हे सीपों के अंदर से निकाल दिया जाता है।
सीप का रख-रखाव | Oyster Maintenance
सीप (Oyster) एक जीवन्त मांसपेशी (bivalve mollusk) होता है जो समुद्र और सलील क्षेत्रों में पाया जाता है। सीप के रखरखाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण निर्देश हैं जिनका पालन करना आवश्यक होता है-
- सीप ठीक से बने होने चाहिए, इसलिए उन्हें स्थानीय संभावित मानकों के अनुसार खरीदना चाहिए।
- जब आप सीप खरीदते हैं तो ध्यान दें कि वे जीवित हों और जीवितता के लक्षण दिखाएं, जैसे कि जब आप उन्हें छूते हैं तो वे बन्द हो जाते हैं।
- सीप को स्वच्छ और ठंडे पानी में रखें। यह हस्ताक्षरी जल (brackish water) या समुद्री पानी हो सकता है, इसलिए उन्हें उपयुक्त सामंजस्य (salinity) की जांच करें।
- ऊँचे तापमान और अधिक सूखी जगह सीप के लिए हानिकारक हो सकते हैं, इसलिए सीप को हमेशा ठंडे और आरामदायक स्थान पर रखें।
- सीप को खाद्य सामग्री से भरपूर रखें। वे ब्राइन (brine) या अन्य आरामदायक खाद्य सामग्री पर जीवित रह सकते हैं।
- अगर सीप को किसी रेलियों में धागे (strings) पर रखा जाता है, तो ध्यान दें कि वे मुक्त (loose) हों ताकि सीप आसानी से उन्हें खाने के लिए खोल सकें।
- सीप को नियमित रूप से जांचें और किसी भी असामान्यता के लिए देखें। यदि आप लापरवाही या बीमारी के लक्षण देखते हैं, तो एक जीववैज्ञानिक से संपर्क करें।
- सीप को नियमित रूप से पानी में डालकर साफ करें ताकि उन्हें बैक्टीरिया और अन्य कीटाणुओं से बचाया जा सके।
- सीप के लिए सही प्रकार का प्रकाश और तापमान महत्वपूर्ण हो सकता है, इसलिए उनके लिए उपयुक्त उपयोग (lighting and temperature) की जांच करें।
- अंत में, सीप को धीमे और सावधानीपूर्वक हिलाना चाहिए, क्योंकि तेज या कठोर हिलाने से उनके आवास के कटाव के खतरे हो सकते हैं।
सीप की खेती करते समय इन विशेष बातों का ध्यान आपको रखना चाहिए।
मोती की खेती में लागत | Cost of Pearl Cultivation | Moti ki Kheti ke liye Kitni Investment lagti hai?
मोतियों की खेती करने के लिए सबसे पहले किसानों को इनको खरीदना पड़ता है जिसमें लगभग 500 सीप की कीमत ₹25000 तक आ जाती है। उनके रखरखाव तथा अन्य खर्चों को मिलाकर इस खेती में लगभग ₹35000 तक की लागत आती है।
मोती की कीमत | Price of Pearl
मोतियों का भाव बजारों में 250 से ₹300 प्रति मोती होता है। इस हिसाब से अगर 500 मोती बेचे जाएं तो 1,25,000 रूपये की कमाई किसान भाई एक बार के मोती की खेती से करते हैं। इसीलिए माना जाता है कि मोती की खेती एक मुनाफे वाली खेती (Is moti ki kheti Profitable?) साबित हो सकती है किसानों के लिए।
तो दोस्तों हमें आशा है कि मोती की खेती किस प्रकार से की जाती है आपको हमारे इस लेख में उसकी पूरी जानकारी मिली है ऐसे ही और जानकारियों को पढ़ने के लिए आप हमारे दूसरे लेख पर पढ़ सकते हैं।