दोस्तों जैसा की हम सभी जानते हैं की किसी मौसम में टमाटर काफी महंगे हो जाते हैं तो किसी मौसम में सस्ते | इसीलिए टमाटर की खेती लगभग अब हर कोई करना चाहता है तो हम आपको अपने इस लेख में टमाटर की खेती कैसे करतें हैं को स्टेप बाय स्टेप बताएंगे|
टमाटर की खेती के लिए तापमान (Temperature for Tomato Cultivation)
मौसम का देखा जाये तो टमाटर की खेती के लिए सबसे सही तापमान 11 डिग्री सेल्सियस से 27 डिग्री सेल्सियस होता है। और जब 21 डिग्री सेल्सियस से 24 डिग्री सेल्सियस का तापमान होता है तब लाल रंग के सबसे अच्छे टमाटर विकसित होते हैं जिस कारण से सर्दियों में टमाटर के फल मीठे और लाल हो जाते हैं। और जब 38 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान हो जाता है तो टमाटर के फल व फूल दोनों ही गिरने की कगार पर आ जाते हैं। वैसे तो टमाटर की खेती पूरे साल भर की जाती है लेकिन सर्दियों में ईसे पाले से बचाने के लिए विशेष ध्यान देना चाहिए ।
टमाटर बोने का सबसे अच्छा महीना (Best Month for Planting Tomato)
टमाटर के पौधे बोने के लिए सबसे अच्छा महीना मई-जून और जनवरी तथा फरवरी व सितंबर-अक्टूबर अच्छा माना जाता है।
टमाटर की खेती के लिए मिट्टी (Best Soil for Tomato Cultivation)
इस टमाटर की खेती के लिए सबसे अच्छी दोमट मिट्टी होती है साथ ही साथ मिट्टी का PH मान 6 से 7 के बीच में होना चाहिए।
टमाटर की खेती के लिए टमाटर की किस्में (Varieties for Tomato Farming)
टमाटर की किस्में जलवायु के हिसाब से और महीने के हिसाब से उगाई जाती है जैसे में-
देसी किस्मत-पूसा 120, पूसा शीलत इत्यादि।
संकर किस्म-पूसा हाइब्रिड,अविनाशी, चमत्कार इत्यादि।
बीज की बुवाई और मात्रा (Amount of Seed for Tomato Cultivation)
लगभग एक हेक्टेयर के खेत में टमाटर की फसल करने के लिए खेत तैयार करने के बाद लगभग 350 से 400 ग्राम टमाटर के बीज भरपूर होते हैं। संकर किस्मों के बीज की मात्रा 150 से 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर खेत के लिए पर्याप्त होती है।
और ध्यान दें की बीज रोगमुक्त व किटमुक्त होने चाहिए।
टमाटर की खेती के लिए भूमि (Land for Tomato Cultivation)
टमाटर की खेती के लिए भूमि तैयार करते समय आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि खेत में जलजमाव की कहीं भी आशंका न रह जाए। क्योंकि इससे टमाटर के पौधों को बहुत ज्यादा हानि पहुंचती है।
इसीलिए उस खेत को टमाटर के पौधे बोने से पहले अच्छे से जोतवा देना चाहिए जिससे कि उस खेत में दूसरी फसलों के अवशेष नष्ट हो जाए। इसके बाद उसके खेत की जुताई करवा कर एक-दो दिन के लिए छोड़ देना चाहिए और जब मिट्टी भुरभुरी हो जाए तब टमाटर के पौधों को रोपना चाहिए।
रोपाई एवं नर्सरी विधि (Planting and Nursery Method)
टमाटर के बीजों को उगाने के लिए खेत को तैयार करना चाहिए तथा इसके बाद उनमें गोबर की खाद को अच्छे से मिला देना चाहिए। तथा साथ ही साथ उस मिट्टी में कार्बोफ्यूरान की मात्रा को भी डालना चाहिए जिससे कि पौधों को रोग ग्रस्त होने से बचाया जा सके।
इसके बाद उस उपचारित मिट्टी में ही बीजों को मिला देना चाहिए और जिस खेत में टमाटर को बोना है उनकी क्यारियों में सही समय पर सिंचाई करते रहें। इसके बाद 20 से 25 दिनों में टमाटर के पौधे बुवाई योग्य हो जाएंगे फिर उन्हें उस खेत में रोप देना चाहिए जिनमें बोने के लिए वह क्यारिया बनाई गई है।
ध्यान दें कि क्यारियों में पौधों को लगाने से पहले भी उन्हें सिंचाई की आवश्यकता होती है जिससे की पौधे खराब होने की संभावना ना हो।
खाद का उपयोग (Uses of Fertilizers)
टमाटर के खेतों को हमेशा अच्छे पोषक तत्व की आवश्यकता होती है जिससे कि टमाटर की पैदावार अच्छी हो सके। इसीलिए बुवाई के समय के पहले भी खेत में 20 से 25 टन के लगभग गोबर उस खेत में छिड़कवा देना चाहिए। जो कि खेतों में अच्छे से मिल जाए इसके बाद रासायनिक खाद भी खेतों में डालना जरूरी होता है। इसमें खेतों की अंतिम जुताई के समय लगभग 80 किलो नाइट्रोजन 50 किलो पोटाश व 60 किलो फास्फोरस प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छीड़कवा देना चाहिए और उसके 5 हफ्ते के बाद लगभग 20 किलो नाइट्रोजन की मात्रा पौधों की सिंचाई के समय देना चाहिए।
और फिर 1 महीने बाद लगभग 20 किलो नाइट्रोजन से खेतों में सिंचाई करवाएं।
सिंचाई (Watering)
टमाटर के खेतों में उचित समय पर उन्हें पानी देते रहना चाहिए अर्थात सिंचाई करते रहना चाहिए। यदि फसल में गर्मी का मौसम है तो 1 हफ्ते में 3 से 4 दिन के अंतराल पर एक बार सिंचाई जरूर करनी चाहिए तथा अगर सर्दियों का मौसम है तो हफ्ते में एक बार पानी जरूर देना चाहिए। लेकिन ध्यान दें कि खेतों में जलजमाव ना होने पाए क्योंकि इससे पौधों को हानि पहुंचती है।
खरपतवार नियंत्रण (Weed Control)
टमाटर के खेती में खरपतवार नहीं होने चाहिए क्योंकि इससे पौधों के सड़ने तथा कीड़े लगने का डर बन जाता है इसीलिए खेत को खरपतवार मुक्त रखें।
कीटो एवं रोगों से बचाव (Pests and Diseases Control)
टमाटर के पौधों को कीटो एवं रोगों से बचाने के लिए आपको समय-समय पर पौधों पर डाइमोथोएट 30 EC, तथा मिथाइल डेमेटों 30 EC का पर्याप्त छिड़काव करना चाहिए।
फलों की कटाई एवं उपज (Cutting Of Fruits)
टमाटर की फसल रोपाई के 90 दिनों के बाद तोड़ने योग्य हो जाती है। फलों को तोड़ते वक्त ज्यादातर फल लाल हो जाते हैं। इनमें भी कठोर फलों को अलग रखा जाता है और थोड़े पके हुए फलों को अलग रखा जाता है क्योंकि कठोर फल लंबे समय तक चलते हैं और थोड़े गले हुए टमाटर के फल कुछ ही दिनों तक चलते हैं।
तो दोस्तों हमें आशा है कि टमाटर की खेती से संबंधित आपको वे सभी जानकारियां मिली है जिन्हें आप जानने के लिए हमारे इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं ऐसी और जानकारियों के लिए आप हमारे दूसरे लेखो को पढ़ सकते हैं।