भिंडी की खेती (Bhindi Ki Kheti) एक ऐसी खेती है जो सालों साल उगाई जाती है। भारत में विशेष तौर पर भिंडी उत्पादन का कार्य उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा में होता है। भिंडी एक बेहद ही विटामिन, प्रोटीन और कैल्शियम तथा अन्य खनिजों से भरपूर खाद्य पदार्थ है| इसे कई लोग कच्चा भी खाते हैं और अधिकतर लोगो द्वारा इसका सब्जी के रूप में किया जाता है।
ऐसे तो भिंडी कई तरह से उगाई जाती है लेकिन हम आपको अपने इस लेख में उसका एक सरल तरीका बताने वाले हैं जिसके हिसाब से आप भिंडी की खेती कर पाएंगे।
भिंडी की खेती कैसे करें? | Bhindi ki Kheti Kaise Kare?
भिंडी की खेती के लिए मौसम और जलवायु | Weather and climate
भिंडी की खेती के लिए गर्म और थोड़ा नरम वातावरण सबसे अच्छा माना जाता है। भिंडी की खेती के लिए 27 डिग्री से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे अच्छा होता है। तथा अगर 16 से 17 डिग्री तापमान रहा तो यह बीज अंकुरित ही नहीं होंगे। इसलिए भिंडी की खेती ग्रीष्म काल में तथा खरीफ इन दोनों ऋतु में उगाई जाती है।महीने के हिसाब से भिंडी बुवाई के लिए सबसे अच्छा महीना-फरवरी और मार्च माना जाता है तथा वर्षा ऋतु में जून-जुलाई का महीना अच्छा होता है।
भिंडी की खेती के लिए मिट्टी | Soil for Bhindi Farming
भिंडी की खेती के लिए ऐसी मिट्टी का उपयोग करना चाहिए जहां से जल निकासी आसानी से हो सके। कहने का तात्पर्य है कि भिंडी की खेती हर प्रकार के जल निकासी वाले खेतों में उगाई जा सकती है बस ध्यान इस बात का रखना चाहिए कि उस मिट्टी का Ph मान 7 से 8 तक होना चाहिए।
बीज का चुनाव करें | Choose Seeds for Bhindi Cultivation
भिंडी की खेती के लिए आपको उत्तम किस्म के बीजों का चुनाव करना चाहिए। जिससे कि आपको लाभ हो। जैसे में
पूसा A-4- यह भिंडी के सबसे उत्तम बीजों में से एक हैं जोकि विषाणु रोधी माने जाते हैं। इनके फल मध्यम आकार वाले और कम से कम 12 से 15 सेंटीमीटर के लंबे होते हैं। यह बुवाई के 15 दिनों के बाद से ही आने शुरू हो जाते हैं और इनकी पहली फसल 45 दिनों के बाद शुरू होती है।
परभणी क्रांति बीज– यह भी पीत रोगरोधी होते हैं जो की बुवाई के 50 दिन बाद फल लगने शुरू होते हैं और यह 15 से 18 सेंटीमीटर लंबे तक फल देते है।
और बीजो में पंजाब-7, अर्का अभय, अर्का अनामिका, वर्षा उपहार, V.R.O.-6 इत्यादि किस्मों के बीज बाजारों में उपलब्ध है।
खेत तैयार करे
भिंडी की खेती करने से पहले आपको उस खेत के दो से तीन बार अच्छे से जुताई करवानी चाहिए। जिससे कि उस खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाए तथा बाद में पट्टा चला कर उसे खेत को समतल करवा लीजिए।
खाद और उर्वरक का प्रयोग
भिंडी की खेती Bhindi Ki Kheti करने के लिए आपको उस खेत में प्रति हेक्टेयर के क्षेत्र में लगभग 18 से 20 टन गोबर की खाद का उपयोग करना चाहिए तथा 80 किलो ग्राम पोटाश और स्फुल तथा नत्रजन का उपयोग मिट्टी के दर के हिसाब से करनी चाहिए। नत्रजन की आधी मात्रा एवं फोटोस की पूरी मात्रा भूमि देनी चाहिए और बचे कुचे नत्रजन को 30 से 40 दिन बाद फिर से दो भागों में बांट कर देना चाहिए।
निराई गुड़ाई का काम
भिंडी की खेती करने के बाद खेत को खरपतवार मुक्त करें तथा भिंडी बोने के 15 से 20 दिन बाद से ही निराई गुड़ाई शुरू कर देना जरूरी होता है क्योंकि खेत को देखभाल की अच्छी खासी जरूरत पड़ती है।
समय से सिंचाई
भिंडी की खेती के लिए सिंचाई में मार्च में 10 से 12 दिन के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए तथा अप्रैल महीने में 7 से 8 दिन के अंतराल पर तथा मई- जून के महीने में चार से 5 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए और बरसात के महीने में इन खेतों को सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
उपयुक्त देखभाल
खेत को उपयुक्त देखभाल की आवश्यकता होती है इसीलिए समय-समय पर रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए तथा खेत को रोग मुक्त रखने के लिए हमेशा उसकी सफाई करते रहना चाहिए।
समय पर तोड़ाई
भिंडी के पौधे रोपने के बाद वे 40 से 50 दिनों बाद फल देना शुरू कर देते हैं तथा 60 से 70 दिनों के बाद यह फल पक कर तैयार हो जाते हैं जिनकी तोड़ाई आप कर सकते हैं। भिंडी की तोड़ाई सुबह और शाम के समय में ही करनी चाहिए।
तो दोस्तों हमें आशा है कि भिंडी की खेती किस प्रकार से की जाती हैं आपको हमारे इस लेख में उसकी पूरी जानकारी मिली है ऐसे ही और जानकारियों को पढ़ने के लिए आप हमारे दूसरे लेखो को पर पढ़ सकते हैं।